Jalore RAJASTHAN Religious

आँखों में शरम, जुबान को नरम और दिल में रहम रखो तो स्वर्ग यहीं है – जैनमुनि

गोड़ी पार्श्वनाथ 52 जिनालय की वर्षगांठ निमित्त मुनिद्वय का नगर में पदार्पण

आहोर।
शहर के गोड़ी पार्श्वनाथ 52 जिनालय की 142वीं वर्षगांठ निमित्त युग प्रभावक आचार्य जयन्तसेन सूरीश्वर के सुशिष्य मुनि डॉ. संयमरत्न विजय व मुनि भुवनरत्न विजय का मंगलवार को पावन पदार्पण आहोर नगर में हुआ। वही जैन संघ ने मुनिद्वय का भावपूर्वक स्वागत किया।

इस मौके प्रवचन देते हुए मुनि डॉ. संयमरत्न विजय ने कहा कि लक्ष्मी पुण्याई से मिलती है। मेहनत से मिलती हो तो मजदूरों के पास क्यों नहीं है? बुद्धि से मिलती हो तो पंडितों के पास क्यों नहीं? जिंदगी में अच्छी संतान, संपत्ति और सफलता पुण्य से मिलती है। यदि आप चाहते हैं कि आपका इहलोक और परलोक सुखमय रहे तो पूरे दिन में कम से कम दो पुण्य जरूर करिये। क्योंकि जिंदगी में सुख, संपत्ति और सफलता पुण्याई से मिलती है। संसार में अड़चन और परेशानी न आए, यह कैसे हो सकता है।

सप्ताह में एक दिन रविवार का भी तो आएगा ना। प्रकृति का नियम ही ऐसा है कि जिंदगी में जितना सुख-दुःख मिलना है, वह मिलता ही है। टेन्डर में जो भरोगे वही तो खुलेगा। मीठे के साथ नमकीन जरूरी है तो सुख के साथ दुःख का होना भी लाज़मी है। दुःख बड़े काम की चीज है। जीवन में यदि दुःख न हो तो परमात्मा को कोई याद ही न करे। स्वर्ग यदि हमारी मुट्ठी में हो तो इतना ही करो कि दिमाग को ‘ठंडा’ रखो, जेब को ‘गरम’ रखो, आँखों में ‘शरम’ रखो, जुबान को ‘नरम’ रखो और दिल में ‘रहम’ रखो।

यदि हम ऐसा कर सके तो हमें किसी स्वर्ग तक जाने की जरूरत नहीं है। स्वर्ग खुद तुम तक चलकर आयेगा। विडंबना तो यही है कि हम स्वर्ग तो चाहते है, मगर स्वर्गीय होना नहीं चाहते। इस दौरान श्रावक श्राविकाएं मौजूद थे।

shrawan singh
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