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भूतकाल शोक व भविष्य के चिंता नही कर वर्तमान में जीने वाला ही जीवन का आनंद लेता है – मुनि संयमरत्न

सायला।

सुखी जीवन का राज है कि जो आपके पास है उसका आनंद लो और जो आपका नहीं है उसके पीछे पागल मत बनो। यह बात रेवतडा प्रवास के दौरान आचार्य जयन्तसेन सूरी महाराज के सुशिष्य मुनि डॉ. संयमरत्न विजय ने गुरूवार को अपने प्रवचन के दौरान कही।

उन्होने कहा कि यदि तुम्हारी जेब में निब्बे रुपये हैं तो उसका आनंद लो और सौ रुपये में जो दस रूपये कम है, इसका दुःख मत करो। साथ ही सौ रूपये करने के चक्कर में मत पड़ो, क्योंकि इसके चक्कर में जो रूपये आपके पास है आप उनका भी आनंद नही ले पाओगे व दुःख की अनुभूति होगी। अतः जो भूतकाल का शोक और भविष्य की चिंता न करते हुए मात्र वर्तमान में जीता है, वह वर्धमान बन जाता है। वर्तमान में जीने वाला ही शासन करता है और सबका सिरताज बन जाता है।

इसीप्रकार मुनि भुवनरत्न विजय ने प्रवचन देते हुए कहा कि क्रोध करना है तो इसमें जल्दबाजी मत करना, बल्कि किसी ज्योतिषी के पास जाना और कहना कि मुझे क्रोध करना है, इसके लिए एक अच्छा सा मुहूर्त निकालकर दीजिए। जब आप हर शुभ कार्य के लिए मुहूर्त देखते हो तो अशुभ कार्य बिना मुहूर्त के क्यों कर लेते हो? यह तरीका अपनाने से क्रोध आता हुआ भी रुक जाएगा। दुनियां में बुराइयां है, मगर क्यों? क्योंकि अच्छे लोग अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं। अच्छे लोग एकांतवासी होते जा रहे हैं। अपनी प्रतिष्ठा और नाम बचाये रखने के लिए लोग बुरे लोगों के लिए कुर्सी खाली कर रहे हैं।

कुर्सी कभी खाली नहीं रहती है। अच्छे लोग उस पर नहीं बैठेंगे तो स्वाभाविक है बुरे लोग उस पर कब्जा कर लेंगे और फिर संचालन की डोर उनके हाथों में होगी। इस देश में आज यही हो रहा है। मैं और मेरे के घेरे ने लोगों को अंधेरे में धकेल दिया है। इस अंधेरे को भगाने का एक मात्र मंत्र यही है कि मैं एक शुद्ध आत्मा हूँ और शुद्ध ज्ञान ही मेरी आत्मा का वास्तविक गुण है।

इस अवसर पर मुनिराज डॉ. संयमरत्न विजय के संयम जीवन के 18 वर्ष पूर्ण व 19 वें वर्ष में मंगल प्रवेश करने पर रेवतड़ा श्री संघ ने जीवदया का आयोजन कर मुनि को शुभकामनाएं प्रेषित की एवं महिला मंडल ने सामूहिक सामायिक कर प्रभावना वितरित की। इस दौरान क्षेत्रभर से समाजबंधु मौजूद रहे।

shrawan singh
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