महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन पर लंबी दूरी की टे्रनों के स्टॉपेज ही नहीं, आस पास के 20 पंचायतों के सरपंचों ने ज्ञापन पर किए हस्ताक्षर
जालोर. जालोर में पर्यटन स्थलों की भरमार है तो उदासीनता और नजरअंदाजी का आलम भी कुछ नहीं है। ऐसे ही हालात जालोर के एक ऐसे महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन पर देखने को मिलते हैं, जहां किसी समय सभी लंबी दूरी की टे्रनें रुकती थी और आरक्षण सुविधा तक थी। यह स्टेशन है जालोर से 20 किमी दूर बिशनगढ़। जो अब उदासीनता का शिकार है।
हालात यह है कि मीटर गेज के समय इस स्टेशन को महत्वपूर्ण मानतें हुए जो सुविधाएं और व्यवस्थाएं यहां दी गई थी उन्हें भी अब दरकिनार कर दिया गया है। लॉक डाउन की अवधि से पहले यहां से लंबी दूरी की टे्रनें बिना रुके फर्राटे से निकल जाती थी। इस अनदेखी के विरोध और यात्री सुविधाओं के विस्तार, आरक्षण सुविधा शुरू करने की मांग को लेकर बिशनगढ़ यात्री गाड़ी संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने सांसद देवजी पटेल को रेल मंत्रालय और मंडल रेल प्रबंधक के नाम ज्ञापन सौंपा है। जिस पर आस पास के 20 गांवों के सरंपचों के हस्ताक्षर भी है। सचिव नाथूलाल शर्मा ने बताया कि यह स्टेशन काफी महत्वपूर्ण रहा है और मीटर गेज के समय भी यहां सभी एक्सप्रेस टे्रनों का ठहराव और आरक्षण सुविधा तक थी, लेकिन वर्ष 2010 में ब्रॉडगेज होने के बाद लंबी दूरी की टे्रनों का संचालन तो शुरू हो गया, लेकिन यहां इन टे्रनों को ठहराव नहीं दिया गया। वहीं रिजर्वेशन सिस्टम लगाया गया, लेकिन वह भी अनदेखी का शिकार हो गया, जो अब बंद है।
तीन धार्मिक स्थलों के लिए महत्वपूर्ण स्टेशन
बिशनगढ़ रेलवे स्टेशन जिले के तीन धार्मिक स्थलों के लिए महत्वपूर्ण हैं। बिशनगढ़ में विश्व विख्यात कैलाश धाम है, जहां 72 फीट ऊंची भगवान शिव की प्रतिमा बनी हुई है। बिशनगढ़ से करीब 10 किमी दूरी पर ही मांडवला है, जहां विश्व विख्यात जहाज मंदिर स्थित है। वहीं सायला में प्रमुख जैन तीर्थ भंाडवपुर भी है। इन धार्मिक स्थलों के दर्शन के लिए गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटका समेत अन्य राज्यों से लोग पहुंचते हैं। इन राज्यों से टे्रनों की आवाजाही जरुर है, लेकिन बिशनगढ़ में इनका स्टॉपेज ही नहीं है। जिसके चलते टे्रन से पहुंचने वाले यात्रियों को जालोर पहुंचना पड़ता है और उसके बाद बिशनगढ़ होते हुए अन्य धार्मिक स्थल तक श्रद्धालु पहुुंच पाते हैं। जालोर से बिशनगढ़ की दूरी लगभग 20 किमी है। ज्ञापन में बताया गया है कि इस स्टेशन पर लंबी दूरी की टे्रनों का ठहराव मिले तो इन धार्मिक केंद्रों के लिए बिशनगढ़ महत्वपूर्ण स्टेशन साबित हो सकता है। इन हालातों में यहां स्थापित आरक्षण केंद्र शुरू करना भी जरुरी है।
मांगों पर जागें तो हो काम
बिशनगढ़ यात्री गाड़ी संघर्ष समिति के अध्यक्ष जुझारकरण बताते हैं कि बिशनगढ़ रेलवे स्टेशन का यात्रीभार लोकल टे्रनों में 200 से 250 के बीच रहता है। वहीं मीटर गेज के समय में एक्सप्रेस टे्रनों के यहां स्टॉपेज के समय भी यात्री भार बेहतर था। ब्रॉडगेज के बाद यहां टे्रनों को स्टॉपेज नहीं दिया गया है। धार्मिक स्थल का मुख्य प्वाइंट होने से यहां लंबी दूरी की ट्रेनों के स्टॉपेज और आरक्षण केंद्र की शुरुआत जरुरी है।