BJP's Veeri Devi became a favorite of women in Sayla, reached campaign
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हवा का रुख बदला तो यहां राजनीति ने भी रंग बदला

– सायला क्षेत्र की सियासत में भारी बदलाव, भाजपा की वीरी देवी की साख, कांगे्रस और निर्दलीय के लिए बना सिरदर्द

सायला. आबो हवा में बदलाव तबीयत को खुशनुमा कर सकती है तो नासाज भी कर सकती है। सीधे तौर पर प्यार, इश्क मोहब्बत और राजनीति के लिए संज्ञा और उपमा, अलंकार एक ही है। राजनीतिक और इश्क को एक ही तराजू में अक्सर तोला गया है तो सीधे तौर पर राजनीति के इन गलियारों में आबो हवा में बदलाव भी किसी की किस्मत बना सकती है तो किसी के अरमान आसुुंओं में बदल भी सकती है। 23 नवंबर यानि अब से कुछ ही देर में सायला क्षेत्र में चुनाव होने वाले हैं, जिसमें तीन प्रमुख प्रत्याशियों के किस्मत का फैसला होने वाला है। सायला में वर्तमान में भाजपा, कांगे्रस और निर्दलीय प्रत्याशियों के बीच जो सीधा मुकाबला था, उस दौड़ में भाजपा की वीरी देवी इन दोनों से दौड़ में आगे नजर आ रही है। वास्तविकता क्या है वे हालात तो वोट काउंटिंग के बाद ही तय हो पाएंगे। लेकिन जो चर्चाएं चल रही है उसमें वीरी देवी की साख वोटर्स में मजबूत बताई जा रही है।

क्या नुकसान और क्यों

वीरी देवी की महिलाओं मेंं साख मजबूत और अच्छी है और लगातार सक्रिय भी है। सीधे तौर पर बीजेपी और कांगे्रस की फिरोज बानू के बीच यह सीधा मुकाबला था, लेकिन यह कमजोर कड़ी साबित हुआ। दो महिलाओं के मुकाबले के बीच निर्दलीय प्रत्याशी जबरसिंह भी अब कमजोर नजर आ रहे हैं। आखिर फैसला वोटर्स का है और वे ही तय करेंगे कि विजेता कौन है, लेकिन व्यक्तिगत छवि के साथ मोदी फैक्टर भी बीेजेपी के फेवर में नजर आ रहा है।

वोटर्स सब जानते हैं

मामला वोटर्स पर निर्भर करता है, लेकिन सायला की राजनीति में 7 दिन पूर्व जो प्रमुख दोवदार इस सीट के लिए था वह अब बेकफुट पर है। सीधे तौर पर मामला वोटर्स के पाले में है। ऐसे में वोट देने वाले वोटर्स ही यह तय करने वाले है कि इस सीट पर कौन काबिज होगा, लेकिन मजबूत और अच्छी छवि और वरिष्ठता के आधार पर भाजपा का दावा यहां मजबूर नजर आ रहा है। हालांकि कांगे्रस की फिरोज बानू और निर्दलीय जबरसिंह को भी कम नहीं आकां जा सकता।

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