सायला में पटाखा लाइसेंस जारी करने में प्रशासनिक चूक या कथित मिलीभगत
सायला।
दिवाली के अवसर पर पटाखों की बिक्री को लेकर सर्वोच्च न्यायालय तो सख्त है लेकिन इसके बावजूद भी उपखण्ड मुख्यालय पर नियमों को ताक पर रखकर दुकानदार पटाखों की धडल्ले से बिक्री कर रहे हैं। जो आबादी स्थानों पर और व्यस्ततम बाजारों में खुले आम पटाखे बेच रहे हैं। यहीं नहीं बिना लाइसेंस के ही कई दुकानदारों ने एवं एक लाइसेंस की आड़ में अन्य जगहों पर पटाखों की बिक्री शुरू कर दी हैं। जहां स्थानीय प्रशासन की ओर से कार्यवाही का अभाव है।
जानकारी के अनुसार सोमवार को दीपावली का पर्व हैं। दीपावली से पहले ही बाजारों में पटाखों की बिक्री शुरू हो जाती हैं। अभी तक प्रशासन की तरफ से सायला कस्बे में करीब 9 दुकानदारों को ही पटाखा बिक्री के लिए लाइसेंस जारी किया गया हैं। जिसके बाद सायला में दुकानदारों ने नया बस स्टेण्ड, ठाकुरजी की गली के सामने, लच्छु बा कॉम्पलेक्स एवं पोस्ट ऑफिस रोड समेत अन्य स्थानों पर पटाखों की दुकानें लगा ली है।
दुकानदारों ने व्यस्ततम बाजार और घनी आबादी के बीच ही पटाखों की यह दुकानें लगा ली है। इनमें कई दुकानें लोकेशन के विपरीत संचालित होती मिली। वही इन दुकानों पर सुरक्षा मानकों का ध्यान नही रखा जा रहा है। इससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता हैं। गौरतलब है कि घनी आबादी ऐरियां में पटाखे बेचने पर पाबंदी हैं, लेकिन सायला उपखण्ड मुख्यालय पर भीड़-भाड़ एवं मुख्य बाजार में किराणे की दुकान एवं फैन्सी की दुकान पर खुले आम पटाखे बैचे जा रहे हैं। राजस्थान आगाज टीम ने जांच की तो कुछेक पटाखा व्यापारियों के पास लाईसेंस भी थे, वहीं कुछेक दुकानदार एक लाईसेंस पर दो दुकानों संचालित करते पाये गए। वही अम्बेडकर चौक पर एक कॉम्पलेक्स में कैपे के पास सुरक्षा मानकों को दरकिनार कर पटाखों की धडल्ले से बिक्री चल रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर आबादी क्षेत्र एवं भीड़ भाड़ वाली दुकानों पर लाईसेंस कैसे प्राप्त किये।
ऐसे में यही कहां जा सकता हैं कि लाईसेंस के लिए प्रस्तावित दुकानों का या सत्यापन नहीं किया गया या फिर प्रशासन एवं पुलिस की कथित मिलीभगत से सब खेल चल रहा है।
अधिक आवाज वाले पटाखे हैं हानिकारक
नियमों के मुताबिक शोर का मानक सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक 55 डेसिबल और रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक 45 डेसिबल रहना चाहिए। इससे ज्यादा ध्वनि या शोर होने से मानव की बेचौनी बढ़ जाती है। जबकि 95 डेसिबल की आवाज कान को प्रभावित करती है और 110 डेसिबल से ज्यादा आवाज हो तो कान का परदा फटने का डर रहता है।
जबकि बाजारों में बिकने वाला अधिकतर पटाखों की ध्वनि क्षमता 120 डेसिबल या उससे अधिक होती है। अधिकांश पटाखे मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। इन पर रोक के लिए नियंत्रण तो है लेकिन तेज आवाज वाली पटाखों की बिक्री प्रशासन के लापरवाही के कारण बेरोकटोक होती है। ऐसे में मानक मात्रा से ज्यादा डेसिबल की आवाज वाले पटाखों की बिक्री अधिक होती है। जिसके कारण व्यक्ति के सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खाना पूर्ति –
कलेक्टर को आवेदन मिलने पर वे एसडीएम और तहसीलदार से रिपोर्ट मांगते हैं। पटवारी एक प्रपत्र में मौका रिपोर्ट तैयार करता हैं। दुकान के आसपास भीड़भाड़, भट्टी, कपड़ों की दुकान अन्य ज्वलनशील पदार्थों को दुकानों की जानकारी भरी जाती हैं।
पुलिस महकमा अपनी रिपोर्ट में दुकान की सुरक्षा संबंधी जानकारी देता हैं। इसके साथ ही वहां की यातायात व्यवस्था, भीड़ भाड़ की स्थिति की जानकारी भी होती हैं। यह सुनिश्चित किया जाता हैं कि लोगों की जान और माल को नुकसान की संभावना नहीं हो। अन्यथा संबंधित दुकानदार के खिलाफ लोगों की जान जोखिम में डालने का पुलिस विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज कर सकती हैं।
प्रशासन किसी दुकान पर अवैध रूप से पटाखे बेचता पाए जाने पर उसे सील कर सकता हैं। लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खाना पूर्ति हो होती हैं।
इन सावधानियों का रखें ध्यान
1 पटाखों की बिक्री या भंडारण पक्का शेड के अंदर होना चाहिए।
2 शेड के निर्माण में बोरा, लकड़ी, पुआल आदि ज्वलनशील सामग्री का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।
3 शेड की घेराबंदी इस तरह हो कि अनाधिकृत व्यक्ति उसमें प्रवेश ना कर सके। हर शेड या दुकान की आपस में निर्धारित दूरी हो।
4 वहीं पेट्रोल पंप, गैस एजेंसी या अन्य ज्वलनशील या विस्फोटक भंडारण स्थल से दूर हो।
5 पटाखा दुकान में लैंप, गैस लैंप या नेकेड लाइट का उपयोग ना हो, वहीं बिजली के तार या स्विच खुले या क्षतिग्रस्त अवस्था में ना हों।
इनका कहना ।
यदि सायला में कही पर बिना लाइसेंस के पटाखे बेच रहे है जिसकी कार्यवाही के लिए टीम भेज दी है नियम विरुद्ध होने पर सख़्त क़ानूनी कार्यवाही की जाएगी । सूरजभान विश्नोई उपखंड अधिकारी सायला ।
4 Replies to “सुरक्षा नियमों को धत्ता बताकर व्यस्त बाजार व ज्वलनशील स्थल के पास चल रही पटाखा की दुकानें”
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