- नाप से 99 वर्गमीटर अतिरिक्त सरकारी जमीन पर खड़ा किया अवैध कॉम्पलेक्स, ग्रामीणों की शिकायत के बावजूद प्रशासन मौन
बागोड़ा।
कस्बे में इन दिनों चल रहे निर्माण कार्यों में नियमों की अनदेखी हो रही हैं, ग्रामीणों की ओर से शिकायत करने के बावजूद प्रशासन की ओर से कार्रवाई नहीं की जा रही है। वही निर्माण कार्य रोकने के लिए नोटिस जरूर जारी होते हैं, मगर काम रोका या नहीं अधिकारियों की ओर से इसकी जांच नहीं की जाती है। गौरतलब है कि नया भवन बनाना हो या पुराने का नवीनीकरण करवाना हो, इसके लिए ग्राम पंचायत की अनुमति लेना जरूरी होता हैं। इसके लिए ग्राम पंचायत से स्वीकृत किए गए नक्शे के अनुसार ही निर्माण किया जा सकता है।
निर्माण कार्य की स्थिति को लेकर ग्राम पंचायत तय करती है कि निर्माणों मास्टरप्लान के प्रावधान अनुसार हो रहा है या नहीं। हालांकि ग्राम पंचायत की ओर से नक्शे तो पास जरूर होते हैं, मगर नियमानुसार निर्माण हो रहा है या नहीं इसकी जांच नहीं की जाती है। जिसके चलते व्यस्त बाजारों में व्यावसायिक भवनों के निर्माण को देखकर लगता ही नहीं कि कहीं पर नियमों की पालना हुई है। वही कॉम्पलैक्स निर्माण के दौरान ना सेटबेक स्पेस छोडा जाता हैं और ना ही पार्किंग के लिए जगह छोड़ी जाती है। वहीं कई स्थानों पर घर या दुकान में प्रवेश के लिए सीढियां सड़क पर से होकर निकाल ली गई।
विरोध के बाद सड़क से हटवा दी सामग्री
कस्बे में एक बड़े भूखंड पर व्यावसायिक भवन का निर्माण किया जा रहा है। जिसमें न तो निर्धारित खुली भूमि छोड़ी गई और ना ही वाहन पार्किंग के लिए पर्याप्त स्थान। ग्रामीणों ने विरोध जताते हुए इसकी शिकायत तहसीलदार से की तो तहसीलदार ने कार्रवाई के तौर पर सड़क पर रखी सामग्री को हटाकर खानापूर्ति कर ली।
नाप से 99 वर्ग मीटर अतिरिक्त कब्जा
ग्रामीणों की शिकायत पर तत्कालीन तहसीलदार मोहम्मद इकबाल ने अवैध कॉम्पलेक्स को लेकर जांच कमेटी बनाई, जिसमें पटवारी, आरआई एवं तहसीलदार ने मौका रिपोर्ट तैयार कर जांच करने पर नाप से 99 वर्गमीटर अतिरिक्त कब्जा पाया गया। इस संबंध में भवन निर्माता से जबाव मांगा गया, लेकिन जवाब देने से पहले ही तहसीलदार का तबादला हो गया जिससे जांच ठंडे बस्ते में चली गई।
15 साल में ढाई किमी के दायरे में हुई बसावट
तहसील एवं पंचायत समिति मुख्यालय बनने के बाद बागोडा कस्बे का विस्तार तेजी से हो रहा है। बीते 15 साल में कस्बा करीब ढाई किलोमीटर दायरे में बस गया है। वर्तमान में कस्बे का विस्तार मोरसीम रोड की ओर आगे बढ़ता जा रहा है। इस रोड पर भवन निर्माण कार्य जोरों पर चल रहे हैं। कस्बे में हर साल सैकडों की संख्या में नए मकान और व्यावसायिक परिसर बन रहे हैं। मकान बनाने से पूर्व नियमानुसार पंचायत से अनुमति और नक्शा पास कराना जरूरी है। लेकिन कस्बे में 75 फीसदी से भी ज्यादातर लोग भवन निर्माण से पहले पंचायत से परमिशन और नक्शा पास नहीं करवाते हैं। दरअसल अनुमति शुल्क जमा कराने के बाद भवन पंजीकृत हो जाता है। जिससे संपत्तिकर की वसूली होने लगती है। यही वजह है कि नक्शा पास कराने की शुल्क और संपत्तिकर को बचाने के चक्कर में ज्यादातर बिना परमिशन मनमाफिक तरीके से मकान निर्माण करा लेते हैं।
परमिशन शर्तों का पालन नहीं करते जिम्मेदार
35 प्रतिशत भवन बनाने से पूर्व लोग नक्शा पास कराने की अनिवार्यता को देखते हुए नक्शा पास तो करा लेते हैं, लेकिन पंचायत द्वारा परमिशन के लिए लगाई गई शर्तों का पालन कराने पर जिम्मेदार अधिकारी ध्यान नहीं देते हैं। वहीं आमतौर पर भवन निर्माता को भी इस बात से कोई सरोकार नहीं होता है कि मकान बनाते समय कहां कितनी जगह छोडना जरूरी है, पानी का निकास कहां से करना है, छत का पानी कहां गिराना चाहिए। लोगों की कोशिश रहती है कि उनकी एक इंच भी जगह भी नहीं छूटना चाहिए और सरकारी जगह को भी अपने हिस्से में लिया जाए। इस लालच में भवनों के हिस्से सडक तक आ जाते हैं, जिससे दूसरे लोगों के लिए कई समस्याएं पैदा होती है।
सरकार को लाखों का हो रहा राजस्व घाटा
परमिशन और नक्शा स्वीकृत कराए बिना मकान-दुकान बनाने का सीधा नुकसान पंचायत को राजस्व घाटे के रूप में उठाना पड़ता है। जब नक्शा स्वीकृत नहीं होगा, तो न तो परमिशन शुल्क मिलेगा और न ही आगे चलकर संपत्तिकर की राशि मिलेगी। इससे पंचायत को हर साल लाखों रुपए के राजस्व की चपत लग रही है। हालांकि बिना परमिशन भवन निर्माण के मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए पंचायत की ओर से नोटिस तो जरूर देते है लेकिन इन नोटिस की पालना कोई नहीं कर रहा है। इस संबंध में जिम्मेदार अधिकारी से बात की तो उन्होंने बताया कि ज्यादा सख्ती बरतने पर राजनीति होने लगती है, इसलिए कस्बे में अनियोजित बसाहट की स्थिति बन रही है।
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